Author: | RajBahadur Pandey | ISBN: | 9789352613953 |
Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt ltd. | Publication: | November 4, 2016 |
Imprint: | Language: | Hindi |
Author: | RajBahadur Pandey |
ISBN: | 9789352613953 |
Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt ltd. |
Publication: | November 4, 2016 |
Imprint: | |
Language: | Hindi |
हमारी यह पुस्तक यदि पाठकों के समक्ष अथर्ववेद का मर्म प्रस्तुत कर सके और वेदों तथा वेदज्ञान के सम्बन्ध में उनकी धर्मरुचि बढ़ा सके, तो हम अपने श्रम को सफल मानेंगे ।
अथर्ववेद का मुख्य विषय आत्म -परमात्म ज्ञान है । इसके अध्ययन से मनुष्य अपनी अन्तर्निहित शक्तियों का ज्ञान प्राप्त करके उनके विकास एवं उपयोग- प्रयोग से ऐहिक -पारलौकिक उन्नति साध सकता है तथा साधन के द्वारा परमात्मा को भी प्राप्त कर सकता है ।
अथर्ववेद में बीस काण्ड, सात सौ इकतीस सूक्त एवं पांच हजार नौ सौ इकहत्तर मन्त्र हैं । मन्त्रसमूह को सूक्त कहा जाता है । सूक्त का रचयिता-द्रष्टा जो ऋषि है, वही सूक्त का ऋषि कहा जाता है । सूक्त में जो वर्णन है या जिसका वर्णन है; वही उस सूक्त का देवता होता है । प्रस्तुत पुस्तक में हमने सूक्त देवता का ही उल्लेख किया है, सूक्त ऋषि का नहीं । सूक्तों का सरल हिन्दी में अनुवाद किया गया है । किन्तु विस्तार भय से संक्षेपीकरण की प्रवृत्ति का आश्रय लेकर अनेक सूक्तों का भावार्थ भी प्रस्तुत किया गया है ।
हमारी यह पुस्तक यदि पाठकों के समक्ष अथर्ववेद का मर्म प्रस्तुत कर सके और वेदों तथा वेदज्ञान के सम्बन्ध में उनकी धर्मरुचि बढ़ा सके, तो हम अपने श्रम को सफल मानेंगे ।
अथर्ववेद का मुख्य विषय आत्म -परमात्म ज्ञान है । इसके अध्ययन से मनुष्य अपनी अन्तर्निहित शक्तियों का ज्ञान प्राप्त करके उनके विकास एवं उपयोग- प्रयोग से ऐहिक -पारलौकिक उन्नति साध सकता है तथा साधन के द्वारा परमात्मा को भी प्राप्त कर सकता है ।
अथर्ववेद में बीस काण्ड, सात सौ इकतीस सूक्त एवं पांच हजार नौ सौ इकहत्तर मन्त्र हैं । मन्त्रसमूह को सूक्त कहा जाता है । सूक्त का रचयिता-द्रष्टा जो ऋषि है, वही सूक्त का ऋषि कहा जाता है । सूक्त में जो वर्णन है या जिसका वर्णन है; वही उस सूक्त का देवता होता है । प्रस्तुत पुस्तक में हमने सूक्त देवता का ही उल्लेख किया है, सूक्त ऋषि का नहीं । सूक्तों का सरल हिन्दी में अनुवाद किया गया है । किन्तु विस्तार भय से संक्षेपीकरण की प्रवृत्ति का आश्रय लेकर अनेक सूक्तों का भावार्थ भी प्रस्तुत किया गया है ।