Dekha hai.. (Kavita sangrah)

Fiction & Literature, Poetry
Cover of the book Dekha hai.. (Kavita sangrah) by Sudhir Bansal, OnlineGatha
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Sudhir Bansal ISBN: 1230000311202
Publisher: OnlineGatha Publication: March 13, 2015
Imprint: Language: Hindi
Author: Sudhir Bansal
ISBN: 1230000311202
Publisher: OnlineGatha
Publication: March 13, 2015
Imprint:
Language: Hindi

सुधीर बंसल की काव्य कृति देखा है का आद्योपान्त पठन करने के बाद पाया कि कवि ने जीवन के सभी क्षेत्रो- सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक तथा धार्मिक में अपनी सजग दृष्टि से अवलोकन करके शब्द चित्रों को सहज कल्पना के रंगों से चित्रित करने का प्रयास किया हैं।
हम सब जानते हैं कि कविता कवि-हृदय की भावनाओं की कलात्मक संवाहिका होती हैं। कवि भी एक सामाजिक प्राणी हैं। वह समाज का एक विशेष जागरूक व्यक्ति होता है जिसकी चेतन प्रज्ञा से सूक्ष्मातिसूक्ष्म घटना भी अछूती नहीं रहती समाज में जीवन मूल्यों के ह्यसोन्मुख होने पर कवि अपनी लेखनी से दिग्भ्रमित जन मानस को जगाने सचेत करने होश में आने और सही दिशा में आचरण करने के लिए अपनी विशिष्ट शैली में प्रेरित करता है।
आज के वैज्ञानिक आर्थिक तथा प्रगतिशील युग में सामाजिक परिवर्तन की गति तो अनपेक्षित रूप से तीव्र हैं किन्तु उसकी दिशा मानव जीवन मूल्यों के सर्वथा प्रतिकूल है।
सुधीर जी को भावी सफल लेखन हेतु शुभकामनाओं के साथ।

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

सुधीर बंसल की काव्य कृति देखा है का आद्योपान्त पठन करने के बाद पाया कि कवि ने जीवन के सभी क्षेत्रो- सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक तथा धार्मिक में अपनी सजग दृष्टि से अवलोकन करके शब्द चित्रों को सहज कल्पना के रंगों से चित्रित करने का प्रयास किया हैं।
हम सब जानते हैं कि कविता कवि-हृदय की भावनाओं की कलात्मक संवाहिका होती हैं। कवि भी एक सामाजिक प्राणी हैं। वह समाज का एक विशेष जागरूक व्यक्ति होता है जिसकी चेतन प्रज्ञा से सूक्ष्मातिसूक्ष्म घटना भी अछूती नहीं रहती समाज में जीवन मूल्यों के ह्यसोन्मुख होने पर कवि अपनी लेखनी से दिग्भ्रमित जन मानस को जगाने सचेत करने होश में आने और सही दिशा में आचरण करने के लिए अपनी विशिष्ट शैली में प्रेरित करता है।
आज के वैज्ञानिक आर्थिक तथा प्रगतिशील युग में सामाजिक परिवर्तन की गति तो अनपेक्षित रूप से तीव्र हैं किन्तु उसकी दिशा मानव जीवन मूल्यों के सर्वथा प्रतिकूल है।
सुधीर जी को भावी सफल लेखन हेतु शुभकामनाओं के साथ।

More books from OnlineGatha

Cover of the book THE TALE OF A YELLOW DIME by Sudhir Bansal
Cover of the book The Spooky Smart - Watch by Sudhir Bansal
Cover of the book Tangled Bonds by Sudhir Bansal
Cover of the book Eway Rhymes by Sudhir Bansal
Cover of the book A Guide to Mind Building by Sudhir Bansal
Cover of the book The Armpit ADMIRERS by Sudhir Bansal
Cover of the book Soz Kuch Pal Zindgi Ke by Sudhir Bansal
Cover of the book Sly Amour in PUBLIC PLACES by Sudhir Bansal
Cover of the book PHYTOCHEMICAL ANALYSIS AND ANTIMICROBIAL ACTIVITY OF MENTHA PIPERITA by Sudhir Bansal
Cover of the book A Walk Through Income Tax by Sudhir Bansal
Cover of the book Zharokhe by Sudhir Bansal
Cover of the book Fundamentals of Statistics: A Brief Insight by by Sudhir Bansal
Cover of the book Khutiyo per tangi kahania by Sudhir Bansal
Cover of the book അമേരിക്കയിലെ േമ ോഹരേോയ കോഴ്ചകള ും അ ുഭവങ്ങള ും by Sudhir Bansal
Cover of the book Jaivik kheti Ke Naye Ayam Evam Pramanikaran by Sudhir Bansal
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy