Meri Kahaniyan-Mohan Rakesh

मेरी कहानियाँ-मोहन राकेश

Nonfiction, Reference & Language, Foreign Languages, Indic & South Asian Languages, Fiction & Literature, Short Stories, Historical
Cover of the book Meri Kahaniyan-Mohan Rakesh by Mohan Rakesh, मोहन राकेश, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Mohan Rakesh, मोहन राकेश ISBN: 9781613010952
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: January 15, 2013
Imprint: Language: Hindi
Author: Mohan Rakesh, मोहन राकेश
ISBN: 9781613010952
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: January 15, 2013
Imprint:
Language: Hindi
हिन्दी कहानी को कथा और शैली दोनों ही दृष्टियों से नई दिशा देनेवाले लेखकों में मोहन राकेश का अग्रणी स्थान है। उन्होंने कम ही लिखा परन्तु उनकी अनेक कहानियाँ साहित्य की अमर निधि बन गईं। प्रस्तुत संकलन में उनकी अपने ही द्वारा चुनी हुई कहानियाँ हैं। नये दौर की मेरी अधिकांश कहानियां सम्बन्धों की यंत्रणा को अपने अकेलेपन मेंझेलते लोगों की कहानियां हैं जिनमें हर इकाई के माध्यम से उसके परिवेश को अंकित करने का प्रयत्न है यह अकेलापन समाज से कटकर व्यक्ति का अकेलापन नहीं समाज के बीच होने का अकेलापन है और उसकी परिणति भी किसी तरह के सिनिसिज़्म में नहीं, झेलने की निष्ठा में है व्यक्ति और समाज को परस्पर-विरोधी एक दूसरे से भिन्न और आपस में कटी हुई इकाइयां न मानकर यहां उन्हें एक ऐसी अभिन्नता में देखने का प्रयत्न है जहां व्यक्ति समाज की विडम्बनाओं का और समाज व्यक्ति की यन्त्रणाओं का आईना है।
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
हिन्दी कहानी को कथा और शैली दोनों ही दृष्टियों से नई दिशा देनेवाले लेखकों में मोहन राकेश का अग्रणी स्थान है। उन्होंने कम ही लिखा परन्तु उनकी अनेक कहानियाँ साहित्य की अमर निधि बन गईं। प्रस्तुत संकलन में उनकी अपने ही द्वारा चुनी हुई कहानियाँ हैं। नये दौर की मेरी अधिकांश कहानियां सम्बन्धों की यंत्रणा को अपने अकेलेपन मेंझेलते लोगों की कहानियां हैं जिनमें हर इकाई के माध्यम से उसके परिवेश को अंकित करने का प्रयत्न है यह अकेलापन समाज से कटकर व्यक्ति का अकेलापन नहीं समाज के बीच होने का अकेलापन है और उसकी परिणति भी किसी तरह के सिनिसिज़्म में नहीं, झेलने की निष्ठा में है व्यक्ति और समाज को परस्पर-विरोधी एक दूसरे से भिन्न और आपस में कटी हुई इकाइयां न मानकर यहां उन्हें एक ऐसी अभिन्नता में देखने का प्रयत्न है जहां व्यक्ति समाज की विडम्बनाओं का और समाज व्यक्ति की यन्त्रणाओं का आईना है।

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-05 by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Vyaktitwa ka Vikas (Hindi Self-help) by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Yuddh Aur Shanti-2 (Hindi Novel) by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Ghumakkad Shastra (Hindi Articles) by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Main Naa Manu (Hindi Novel) by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-42 by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-36 by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-38 by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Chitralekha by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Goswami Tulsidas(Hindi Epic) by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Meri Kahaniyan-Vidyasagar Nautiyal (Hindi Stories) by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Chandrakanta Santati-2 by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-14 by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Rangbhoomi (Hindi Novel) by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
Cover of the book Meri Kahaniyan-Agyeya (Hindi Stories) by Mohan Rakesh, मोहन राकेश
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy