संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत के प्रभाव के कारण प्रतीची विचारों से प्रभावित इन्द्रनारायण तिवारी की मानसिक अवस्था एक समस्या बनी रहती थी। इन्द्रनारायण के पिता रामाधार तिवारी जिला उन्नाव के एक छोटे से गाँव दुरैया में पुरोहिताई करते थे। दुर्गा, चंडी-पाठ, भागवत-पारायण, रामायणादि की कथा तो पुरोहितजी का व्यवसाय था। इसके अतिरिक्त घर पर भी पूजा पाठ होता रहता था। पुरोहितजी के घर के साथ संयुक्त रघुनाथजी का मन्दिर था और उसमें भी कथा-कीर्तन चला करता था। इन्द्रनारायण के ये बचपन के संस्कार थे।
संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत के प्रभाव के कारण प्रतीची विचारों से प्रभावित इन्द्रनारायण तिवारी की मानसिक अवस्था एक समस्या बनी रहती थी। इन्द्रनारायण के पिता रामाधार तिवारी जिला उन्नाव के एक छोटे से गाँव दुरैया में पुरोहिताई करते थे। दुर्गा, चंडी-पाठ, भागवत-पारायण, रामायणादि की कथा तो पुरोहितजी का व्यवसाय था। इसके अतिरिक्त घर पर भी पूजा पाठ होता रहता था। पुरोहितजी के घर के साथ संयुक्त रघुनाथजी का मन्दिर था और उसमें भी कथा-कीर्तन चला करता था। इन्द्रनारायण के ये बचपन के संस्कार थे।