Author: | Nishantketu | ISBN: | 9789352612895 |
Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt ltd. | Publication: | August 29, 2016 |
Imprint: | Diamond Pocket Books | Language: | Hindi |
Author: | Nishantketu |
ISBN: | 9789352612895 |
Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt ltd. |
Publication: | August 29, 2016 |
Imprint: | Diamond Pocket Books |
Language: | Hindi |
प्रत्येक युग मे कुछ ऐसे व्यक्तित्व इस धरती पर जन्म ग्रहण करते हैं, जिनसे समाज प्रेरित होता है । इनकी चित्तवृत्ति में सदाशयता भरी-पड़ी होती है, जो अपने सपूर्ण क्रिया-कलापों में उत्तमता को धारण कर सर्व-सपूजित हो जाते है । ऐसे लोग मरते नहीं, देहातरण के बाद भी सुजनों तथा स्वजनों के हृदय में संजीवित रहते है । कभी पटना के ख्यात हृदय-रोग-विशेषज्ञ के रूप मे ज्ञापित होनेवाले डॉ. श्रीनिवास भी उन्हीं में से एक थे। वे आज हमलोगो के बीच नही हैं। वर्षों पूर्व उनका देहांत हो गया, फिर भी बिहार और देश के बहुत सारे लोग उनकी चिकित्सा-पद्धति एव पाडित्य-बोध के आज भी कायल है ।
डॉ. श्रीनिवास अपने पेशे के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होने के साथ-साथ उच्चकोटि के मानव भी थे । वे अध्यात्म और विज्ञान का समन्वित चैतन्य-स्वरूप थे । कुछ ऐसी प्रभावशालिता कि जिससे एक बार मिलते उसके आत्मीय बन जाते । भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की चिकित्सा के लिए उन्हें सर्वप्रथम आमंत्रित किया जाता था । पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी ने उनके कहने पर ही पटना मे इंदिरा गाँधी इस्टीट्यूट ऑव कार्डियोलॉजी की दिशा तय की थी और उन्हे इसका प्रथम डायरेक्टर बनाया । डॉ श्रीनिवास ने कार्डियोलॉजी सस्थान की सपूर्ण व्यवस्था का सुदर-सयोजन वर्षों तक किया ।
प्रत्येक युग मे कुछ ऐसे व्यक्तित्व इस धरती पर जन्म ग्रहण करते हैं, जिनसे समाज प्रेरित होता है । इनकी चित्तवृत्ति में सदाशयता भरी-पड़ी होती है, जो अपने सपूर्ण क्रिया-कलापों में उत्तमता को धारण कर सर्व-सपूजित हो जाते है । ऐसे लोग मरते नहीं, देहातरण के बाद भी सुजनों तथा स्वजनों के हृदय में संजीवित रहते है । कभी पटना के ख्यात हृदय-रोग-विशेषज्ञ के रूप मे ज्ञापित होनेवाले डॉ. श्रीनिवास भी उन्हीं में से एक थे। वे आज हमलोगो के बीच नही हैं। वर्षों पूर्व उनका देहांत हो गया, फिर भी बिहार और देश के बहुत सारे लोग उनकी चिकित्सा-पद्धति एव पाडित्य-बोध के आज भी कायल है ।
डॉ. श्रीनिवास अपने पेशे के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक होने के साथ-साथ उच्चकोटि के मानव भी थे । वे अध्यात्म और विज्ञान का समन्वित चैतन्य-स्वरूप थे । कुछ ऐसी प्रभावशालिता कि जिससे एक बार मिलते उसके आत्मीय बन जाते । भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की चिकित्सा के लिए उन्हें सर्वप्रथम आमंत्रित किया जाता था । पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाँधी ने उनके कहने पर ही पटना मे इंदिरा गाँधी इस्टीट्यूट ऑव कार्डियोलॉजी की दिशा तय की थी और उन्हे इसका प्रथम डायरेक्टर बनाया । डॉ श्रीनिवास ने कार्डियोलॉजी सस्थान की सपूर्ण व्यवस्था का सुदर-सयोजन वर्षों तक किया ।