Srishti (Hindi)

Fiction & Literature, Anthologies, Literary Theory & Criticism
Cover of the book Srishti (Hindi) by Premchand, Sai ePublications & Sai Shop
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Premchand ISBN: 9781310389634
Publisher: Sai ePublications & Sai Shop Publication: July 3, 2014
Imprint: Smashwords Edition Language: Hindi
Author: Premchand
ISBN: 9781310389634
Publisher: Sai ePublications & Sai Shop
Publication: July 3, 2014
Imprint: Smashwords Edition
Language: Hindi

(अदन की वाटिका, तीसरे पहर का समय। एक बड़ा सांप अपना सिर फूलों की एक क्यारी में छिपाये हुए और अपने शरीर को एक वृक्ष की शाखाओं में लपेटे हुए पड़ा है। वृक्ष भलीभांति च़ चुका है, क्योंकि सृष्टि के दिन हमारे अनुमान से कहीं अधिक बड़े थे। सर्प उस व्यक्ति को नहीं दिखाई दे सकता जिसको उसकी विद्यमानता का ज्ञान नहीं है, क्योंकि उसके हरे और भूरे रंग के मेल से धोखा होता है। उसके निकट ही फूलों की क्यारी से एक ऊंची चट्टान दिखाई दे रही है। यह चट्टान और वृक्ष दोनों एक हरियाली के किनारे पर हैं, जिसमें एक हरिण का बच्चा मरा और सूखा हुआ पड़ा है और उसकी गर्दन टूट गई है। आदम अपने एक हाथ के सहारे चट्टान पर झुका हुआ मृत शरीर को भयभीत होकर देख रहा है, उसने अपनी बाईं ओर सर्प को नहीं देखा है। वह दाहिनी ओर मुड़ता है और घबराकर पुकारता है।)

आदम-हौआ, हौआ !

हौआ-क्या है, आदम ?

आदम-यहां आओ, शीघर कुछ हो गया है !

हौआ-(दौड़कर) क्या, कहां ? (आदम हरिण के बच्चे की ओर संकेत करता है) ओह ! (वह उसके पास जाती है और आदम को भी उसके साथ जाने का साहस होता है) उसकी आंखों को क्या हो गया?

आदम-केवल आंखें नहीं, यह देखो (उसको ठुकराता है।)

हौआ-अरे यह न करो, यह जागता क्यों नहीं ?

आदम-मालूम नहीं, सो नहीं रहा है।

हौआ-सो नहीं रहा है ?

आदम-देखा तो !

हौआ-(हरिण के बच्चे को हिलाने और उलटने की चेष्टा करते हुए) यह तो कठोर और ठंडा हो गया है !

आदम-कोई वस्तु इसको जगा नहीं सकती ?

हौआ-इसमें तो विचित्र गंध है, ओह ! (अपना हाथ झाड़ती है और उसके पास से हट जाती है) क्या तुमने इसको इसी दशा में पाया था ?

आदम-नहीं, अभी खेल रहा था कि ठोकर खाकर लड़खड़ाता हुआ गिर पड़ा, फिर वह हिला तक नहीं और इसकी गर्दन में कोई दोष हो गया है। (गर्दन उठाकर हौआ को दिखाने के लिए झुकता है।)

हौआ-मत छुओ, इसके पास से हट जाओ। (दोनों पीछे हट जाते हैं और थोड़ी दूर से उस लोथ पर ब़ती हुए घृणा से विचार करते हैं।)

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

(अदन की वाटिका, तीसरे पहर का समय। एक बड़ा सांप अपना सिर फूलों की एक क्यारी में छिपाये हुए और अपने शरीर को एक वृक्ष की शाखाओं में लपेटे हुए पड़ा है। वृक्ष भलीभांति च़ चुका है, क्योंकि सृष्टि के दिन हमारे अनुमान से कहीं अधिक बड़े थे। सर्प उस व्यक्ति को नहीं दिखाई दे सकता जिसको उसकी विद्यमानता का ज्ञान नहीं है, क्योंकि उसके हरे और भूरे रंग के मेल से धोखा होता है। उसके निकट ही फूलों की क्यारी से एक ऊंची चट्टान दिखाई दे रही है। यह चट्टान और वृक्ष दोनों एक हरियाली के किनारे पर हैं, जिसमें एक हरिण का बच्चा मरा और सूखा हुआ पड़ा है और उसकी गर्दन टूट गई है। आदम अपने एक हाथ के सहारे चट्टान पर झुका हुआ मृत शरीर को भयभीत होकर देख रहा है, उसने अपनी बाईं ओर सर्प को नहीं देखा है। वह दाहिनी ओर मुड़ता है और घबराकर पुकारता है।)

आदम-हौआ, हौआ !

हौआ-क्या है, आदम ?

आदम-यहां आओ, शीघर कुछ हो गया है !

हौआ-(दौड़कर) क्या, कहां ? (आदम हरिण के बच्चे की ओर संकेत करता है) ओह ! (वह उसके पास जाती है और आदम को भी उसके साथ जाने का साहस होता है) उसकी आंखों को क्या हो गया?

आदम-केवल आंखें नहीं, यह देखो (उसको ठुकराता है।)

हौआ-अरे यह न करो, यह जागता क्यों नहीं ?

आदम-मालूम नहीं, सो नहीं रहा है।

हौआ-सो नहीं रहा है ?

आदम-देखा तो !

हौआ-(हरिण के बच्चे को हिलाने और उलटने की चेष्टा करते हुए) यह तो कठोर और ठंडा हो गया है !

आदम-कोई वस्तु इसको जगा नहीं सकती ?

हौआ-इसमें तो विचित्र गंध है, ओह ! (अपना हाथ झाड़ती है और उसके पास से हट जाती है) क्या तुमने इसको इसी दशा में पाया था ?

आदम-नहीं, अभी खेल रहा था कि ठोकर खाकर लड़खड़ाता हुआ गिर पड़ा, फिर वह हिला तक नहीं और इसकी गर्दन में कोई दोष हो गया है। (गर्दन उठाकर हौआ को दिखाने के लिए झुकता है।)

हौआ-मत छुओ, इसके पास से हट जाओ। (दोनों पीछे हट जाते हैं और थोड़ी दूर से उस लोथ पर ब़ती हुए घृणा से विचार करते हैं।)

More books from Sai ePublications & Sai Shop

Cover of the book Srikanta (Hindi) by Premchand
Cover of the book Godaan (Hindi) by Premchand
Cover of the book Mansarovar - Part 8 (Hindi) by Premchand
Cover of the book Vikramorvasiyam (Hindi) by Premchand
Cover of the book Nirmala (Hindi) by Premchand
Cover of the book Woman Her Sex and Love Life by Premchand
Cover of the book Two Sister (Hindi) by Premchand
Cover of the book Mangal Sutra (Hindi) by Premchand
Cover of the book The Fugitive by Premchand
Cover of the book Srikanta (Hindi) by Premchand
Cover of the book Kafan (Hindi) by Premchand
Cover of the book Mansarovar - Part 5-8 (Hindi) by Premchand
Cover of the book Dehati Samaj (Hindi) by Premchand
Cover of the book Ramcharitmanas (Hindi) by Premchand
Cover of the book My Reminiscences by Premchand
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy