Author: | किशनलाल बी सिंह | ISBN: | 9781948032797 |
Publisher: | Notion Press | Publication: | November 15, 2017 |
Imprint: | Notion Press | Language: | Hindi |
Author: | किशनलाल बी सिंह |
ISBN: | 9781948032797 |
Publisher: | Notion Press |
Publication: | November 15, 2017 |
Imprint: | Notion Press |
Language: | Hindi |
मेंने अपने इस काव्य संग्रह में दिल को छूने वाली खट्टी-मीठी यादें को समेट हुए प्रकृति मैं रची-बसी सामाजिक सरोकार से परिपूर्ण कविताए लिख है जैसे:-
“ढूंढते रह जाओगे”
नेक जिंदगानीं, मौजों में रवानी;
दूध में पानीं, गरीबी में जवानी
“आगया बसंत”
वर्षा, घन-मेघ गए, गए शिशिर हेमंत ;
पीली-पीली सरसों फूली, मटर और केसर फूली
“उजड़ा-उजड़ा पनघट है”
बदल गए हैं शहर-शिवाले, बदल गया हर गांव है;
उजड़ा-उजड़ा पनघट है, और सहमी-सहमी शाम है
“नेनौं की भाषा”
सबसे पहले उससे नज़र मिली;
मैं मूस्काया वो मूस्काई,
मानो जैसे कली खिली...
मुझे पूर्ण विश्वास है कि हर पाठक गण को यह काव्य संग्रह पसंद आएगा और उन्हें जिंदगी में सुखद एहसास महसूस होगा, एसा मुझे विश्वास है
मेंने अपने इस काव्य संग्रह में दिल को छूने वाली खट्टी-मीठी यादें को समेट हुए प्रकृति मैं रची-बसी सामाजिक सरोकार से परिपूर्ण कविताए लिख है जैसे:-
“ढूंढते रह जाओगे”
नेक जिंदगानीं, मौजों में रवानी;
दूध में पानीं, गरीबी में जवानी
“आगया बसंत”
वर्षा, घन-मेघ गए, गए शिशिर हेमंत ;
पीली-पीली सरसों फूली, मटर और केसर फूली
“उजड़ा-उजड़ा पनघट है”
बदल गए हैं शहर-शिवाले, बदल गया हर गांव है;
उजड़ा-उजड़ा पनघट है, और सहमी-सहमी शाम है
“नेनौं की भाषा”
सबसे पहले उससे नज़र मिली;
मैं मूस्काया वो मूस्काई,
मानो जैसे कली खिली...
मुझे पूर्ण विश्वास है कि हर पाठक गण को यह काव्य संग्रह पसंद आएगा और उन्हें जिंदगी में सुखद एहसास महसूस होगा, एसा मुझे विश्वास है