Author: | Devi Nangrani | ISBN: | 9781370873715 |
Publisher: | Raja Sharma | Publication: | February 5, 2018 |
Imprint: | Smashwords Edition | Language: | Hindi |
Author: | Devi Nangrani |
ISBN: | 9781370873715 |
Publisher: | Raja Sharma |
Publication: | February 5, 2018 |
Imprint: | Smashwords Edition |
Language: | Hindi |
आत्मा का परमात्मा से मिलन एक परम सत्य है जो शब्दों के अर्थों में गुप्त व् ज़ाहिर रूप में प्रत्यक्ष है. मतलब को समझना, समझकर अपनाना हमें ही है-इसी वक़्त के दायरे में जब तक ये सांसें हमारा साथ दे रही हैं!
यह सच है कि इस स्वप्निल मायावी दुनिया में हम जी रहे है, सच को प्रत्यक्ष रूप में जीने की कला इंसान को मिली है. बस समय का सदुपयोग करते हुए सच से जुड़ना हमारा लक्ष्य है, सोते सोते जागने का एक स्वर्ण अवसर!
सूफ़ी दरवेश रूमी, को पढ़ना एक अलग संसार में विचरना है, सुने अनसुने शब्दों के बीच को पढना मात्र काफी नहीं, उन शब्दों कि निशब्ता में प्रवाहित आवाज़ को सुनना अपनी पहचान का एक नया द्वार खोलना है. यह अपने आप में खोने व् जुड़ने का पथ है. "शम्स दीवान" में उनकी तीन हज़ार कावितायें पाठकों को अध्यात्मक राह पर राहत की छाँव का अहसास दिलाती है, और दुनियवी शोर में एक ख़ामोश संदेश भी देती है जो अंदर में तन्मयता प्रदान कर पाने में पहल करती है।
देवी नागरानी
जनवरी २०१८
आत्मा का परमात्मा से मिलन एक परम सत्य है जो शब्दों के अर्थों में गुप्त व् ज़ाहिर रूप में प्रत्यक्ष है. मतलब को समझना, समझकर अपनाना हमें ही है-इसी वक़्त के दायरे में जब तक ये सांसें हमारा साथ दे रही हैं!
यह सच है कि इस स्वप्निल मायावी दुनिया में हम जी रहे है, सच को प्रत्यक्ष रूप में जीने की कला इंसान को मिली है. बस समय का सदुपयोग करते हुए सच से जुड़ना हमारा लक्ष्य है, सोते सोते जागने का एक स्वर्ण अवसर!
सूफ़ी दरवेश रूमी, को पढ़ना एक अलग संसार में विचरना है, सुने अनसुने शब्दों के बीच को पढना मात्र काफी नहीं, उन शब्दों कि निशब्ता में प्रवाहित आवाज़ को सुनना अपनी पहचान का एक नया द्वार खोलना है. यह अपने आप में खोने व् जुड़ने का पथ है. "शम्स दीवान" में उनकी तीन हज़ार कावितायें पाठकों को अध्यात्मक राह पर राहत की छाँव का अहसास दिलाती है, और दुनियवी शोर में एक ख़ामोश संदेश भी देती है जो अंदर में तन्मयता प्रदान कर पाने में पहल करती है।
देवी नागरानी
जनवरी २०१८