Author: | Devi Nangrani | ISBN: | 9781370577705 |
Publisher: | Raja Sharma | Publication: | February 1, 2018 |
Imprint: | Smashwords Edition | Language: | Hindi |
Author: | Devi Nangrani |
ISBN: | 9781370577705 |
Publisher: | Raja Sharma |
Publication: | February 1, 2018 |
Imprint: | Smashwords Edition |
Language: | Hindi |
एक विढ्वान ने कहीं लिखा है, “जीवनी-लेखन कोरा इतिहास-मात्र होगा, अगर उसकी अभिव्यक्ति कलात्मक ढंग से न हो, और उसमें लिखनेवाले का व्यक्तित्व प्रतिफलित न हो। वह व्यक्ति-विशेष का तटस्थ पर खुलकर किया गया अध्ययन होता है” जीवनी लेखक के लिए ज़रूरी है कि उसके पास चरित नायक के संबंध में वैज्ञानिक ज्ञानकारी मौजूद हो, और उससे संसर्ग आवश्यक है। जीवनी का कलात्मक पक्ष जीवन के वास्तव को यथार्थ मंं रूपांतरित कर पाठकों के हृदय को द्रवित और रसमय करती है।
जब कोई लेखक कुछ वास्तविक घटनाओं के आधार पर श्रद्धेय व्यक्ति की जीवनी कलात्मक रूप से प्रस्तुत करता है तो वह रूप जीवनी कहलाता है, जिसमें जीवन का वृतांत उपलब्ध होता है। यह एक ऐसी व्याख्यां है जिसमें सजग और कलात्मक ढंग से क्रियाओं को संकलित करने की खोज है और व्यक्ति के जीवन में एक व्यक्तित्व का पुनसृजन होता है। कितनी अजीब बात है जीवनी में लेखक अपने से भिन्न व्यक्ति के अंतरंग और बहिरंग को पूर्णता से व्यक्त करने की चेष्टा करता है। अंगेजी के प्रसिद्ध समीक्षक जानसन ने लिखा है “ वही व्यक्ति किसी कि जीवनी लिख सकता है उसके साथ खाता-पीता, उठता-बैठता और बतियाता हो।
एक विढ्वान ने कहीं लिखा है, “जीवनी-लेखन कोरा इतिहास-मात्र होगा, अगर उसकी अभिव्यक्ति कलात्मक ढंग से न हो, और उसमें लिखनेवाले का व्यक्तित्व प्रतिफलित न हो। वह व्यक्ति-विशेष का तटस्थ पर खुलकर किया गया अध्ययन होता है” जीवनी लेखक के लिए ज़रूरी है कि उसके पास चरित नायक के संबंध में वैज्ञानिक ज्ञानकारी मौजूद हो, और उससे संसर्ग आवश्यक है। जीवनी का कलात्मक पक्ष जीवन के वास्तव को यथार्थ मंं रूपांतरित कर पाठकों के हृदय को द्रवित और रसमय करती है।
जब कोई लेखक कुछ वास्तविक घटनाओं के आधार पर श्रद्धेय व्यक्ति की जीवनी कलात्मक रूप से प्रस्तुत करता है तो वह रूप जीवनी कहलाता है, जिसमें जीवन का वृतांत उपलब्ध होता है। यह एक ऐसी व्याख्यां है जिसमें सजग और कलात्मक ढंग से क्रियाओं को संकलित करने की खोज है और व्यक्ति के जीवन में एक व्यक्तित्व का पुनसृजन होता है। कितनी अजीब बात है जीवनी में लेखक अपने से भिन्न व्यक्ति के अंतरंग और बहिरंग को पूर्णता से व्यक्त करने की चेष्टा करता है। अंगेजी के प्रसिद्ध समीक्षक जानसन ने लिखा है “ वही व्यक्ति किसी कि जीवनी लिख सकता है उसके साथ खाता-पीता, उठता-बैठता और बतियाता हो।