भारत और चीन के युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई यह कथा एक उच्चवर्गीय पत्रकार युवक की कहानी है। तेजकृष्ण बुद्धि से समर्थ होते हुए भी अपनी सही जीवन संगिनी का चुनाव कर सकने में असमर्थ है और आशा-निराशा के भँवर में डोलते हुए अपना जीवन निर्वाह कर रहा है। लेखक ने तत्कालीन राजनीतिक समीकरणों की, उस समय के राजनेताओं की सोच तथा उस सोच की कमियों का बहुत अच्छा विवेचन प्रस्तुत किया है।
भारत और चीन के युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई यह कथा एक उच्चवर्गीय पत्रकार युवक की कहानी है। तेजकृष्ण बुद्धि से समर्थ होते हुए भी अपनी सही जीवन संगिनी का चुनाव कर सकने में असमर्थ है और आशा-निराशा के भँवर में डोलते हुए अपना जीवन निर्वाह कर रहा है। लेखक ने तत्कालीन राजनीतिक समीकरणों की, उस समय के राजनेताओं की सोच तथा उस सोच की कमियों का बहुत अच्छा विवेचन प्रस्तुत किया है।