Author: | Gulshan Nanda, गुलशन नन्दा | ISBN: | 9781613015575 |
Publisher: | Bhartiya Sahitya Inc. | Publication: | December 22, 2014 |
Imprint: | Language: | Hindi |
Author: | Gulshan Nanda, गुलशन नन्दा |
ISBN: | 9781613015575 |
Publisher: | Bhartiya Sahitya Inc. |
Publication: | December 22, 2014 |
Imprint: | |
Language: | Hindi |
'अपनी पलकों से आंसू पोंछ डालो सलमा... और एक वादा करो मुझसे-कि जब हिंदोस्तान और पाकिस्तान के हालात अच्छे हो जाएगे... इन दोनों मुल्कों के दरमियान उठी नफ़रत की दीवारें ढह जाएंगी तो तुम वहां जाओगी... मेरी मां से मिलने... देखो कुल्लू की वादी में एक छोटा सा गांव है मनाली... वहीं तुम्हारी सास, देवर और देवरानी रहते हैं... वह सब तुमसे बहुत प्यार करते हैं... और मेरी मां तो तुम्हें सीने से लगाने के लिए तड़प रही है... वह अपनी नई बहू को उन्हीं कपड़ों और ज़ेवरों से सजाना चाहती है जो शादी के दिन तुमने पहने थे... जब उसे मालूम होगा कि तुम्हारा सुहाग उजड़ गया है... उसका बेटा इस दुनियां में नहीं रहा तो उस पर ग़म का पहाड़ टूट पड़ेगा... शायद तुम्हें पाकर उसका ग़म कुछ हल्का हो जाए... इसलिए वादा करो कि उसके ज़ख्मों पर मरहम रखने के लिए तुम ज़रूर जाओगी...।''
'अपनी पलकों से आंसू पोंछ डालो सलमा... और एक वादा करो मुझसे-कि जब हिंदोस्तान और पाकिस्तान के हालात अच्छे हो जाएगे... इन दोनों मुल्कों के दरमियान उठी नफ़रत की दीवारें ढह जाएंगी तो तुम वहां जाओगी... मेरी मां से मिलने... देखो कुल्लू की वादी में एक छोटा सा गांव है मनाली... वहीं तुम्हारी सास, देवर और देवरानी रहते हैं... वह सब तुमसे बहुत प्यार करते हैं... और मेरी मां तो तुम्हें सीने से लगाने के लिए तड़प रही है... वह अपनी नई बहू को उन्हीं कपड़ों और ज़ेवरों से सजाना चाहती है जो शादी के दिन तुमने पहने थे... जब उसे मालूम होगा कि तुम्हारा सुहाग उजड़ गया है... उसका बेटा इस दुनियां में नहीं रहा तो उस पर ग़म का पहाड़ टूट पड़ेगा... शायद तुम्हें पाकर उसका ग़म कुछ हल्का हो जाए... इसलिए वादा करो कि उसके ज़ख्मों पर मरहम रखने के लिए तुम ज़रूर जाओगी...।''