हमारे पाठक ‘लीला’ को भूले न होगें। तिलिस्मी दारोगावाले बँगले की बर्बादी के पहिले तक इसका नाम आया है, जिसके बाद फिर इसका जिक्र नहीं आया*। (*देखिए चन्द्रकान्ता सन्तति, नौवाँ भाग, आठवाँ बयान।) लीला को जमानिया की खबरदारी पर मुकर्रर करके मायारानी काशीवाले नागर के मकान में चली गयी थी और वहाँ दरोगा के आ जाने पर उसके साथ इन्द्रदेव के यहाँ चली गयी। जब इन्द्रदेव के यहाँ से भी वह भाग गयी और दारोगा तथा शेरअलीखाँ की मदद से रोहतासगढ़ के अन्दर घुसने का प्रबन्ध किया गया जैसाकि सन्तति के बाहरवें भाग के तेरहवें बयान में लिखा गया है, उस समय लीला मायारानी के साथ थी, मगर रोहतासगढ़ में जाने से पहिले मायारानी ने उसे अपनी हिफाजत का जरिया बनाकर पहाड़ के नीचे ही छोड़ दिया था। मायारानी ने अपना तिलिस्मी तमंचा, जिससे बेहोशी के बारुद की गोली चलायी जाती थी, लीला को देकर कह दिया था कि मैं शेरअलीखाँ की मदद से और उन्हीं के भरोसे पर रोहतासगढ़ के अन्दर जाती हूँ, मगर ऐयारों के हाथ मेरा गिरफ्तार हो जाना कोई आश्चर्य नहीं, क्योंकि बीरेन्द्रसिंह के ऐयार बड़े ही चालाक हैं। यद्यपि उनसे बचे रहने की पूरी-पूरी तरकीब की गयी है, लेकिन फिर भी मैं बेफिक्र नहीं रह सकती, अस्तु यह तिलिस्मी तमंचा तू अपने पास रख और इस पहाड़ के नीचे ही रहकर हम लोगों के बारे में टोह लेती रह, अगर हम लोग अपना काम करके राजी-खुशी के साथ लौट आये तब तो कोई बात नहीं, ईश्वर न करे कहीं मैं गिरफ्तार हो गयी तो तू मुझे छुड़ाने का बन्दोबस्त कीजियो और इस तमंचे से काम निकालियो। इसमें चलानेवाली गोलियाँ और वह ताम्रपत्र भी मैं तुझे दिये जाती हूँ, जिसमें गोली बनाने की तरकीब लिखी हुई है।
हमारे पाठक ‘लीला’ को भूले न होगें। तिलिस्मी दारोगावाले बँगले की बर्बादी के पहिले तक इसका नाम आया है, जिसके बाद फिर इसका जिक्र नहीं आया*। (*देखिए चन्द्रकान्ता सन्तति, नौवाँ भाग, आठवाँ बयान।) लीला को जमानिया की खबरदारी पर मुकर्रर करके मायारानी काशीवाले नागर के मकान में चली गयी थी और वहाँ दरोगा के आ जाने पर उसके साथ इन्द्रदेव के यहाँ चली गयी। जब इन्द्रदेव के यहाँ से भी वह भाग गयी और दारोगा तथा शेरअलीखाँ की मदद से रोहतासगढ़ के अन्दर घुसने का प्रबन्ध किया गया जैसाकि सन्तति के बाहरवें भाग के तेरहवें बयान में लिखा गया है, उस समय लीला मायारानी के साथ थी, मगर रोहतासगढ़ में जाने से पहिले मायारानी ने उसे अपनी हिफाजत का जरिया बनाकर पहाड़ के नीचे ही छोड़ दिया था। मायारानी ने अपना तिलिस्मी तमंचा, जिससे बेहोशी के बारुद की गोली चलायी जाती थी, लीला को देकर कह दिया था कि मैं शेरअलीखाँ की मदद से और उन्हीं के भरोसे पर रोहतासगढ़ के अन्दर जाती हूँ, मगर ऐयारों के हाथ मेरा गिरफ्तार हो जाना कोई आश्चर्य नहीं, क्योंकि बीरेन्द्रसिंह के ऐयार बड़े ही चालाक हैं। यद्यपि उनसे बचे रहने की पूरी-पूरी तरकीब की गयी है, लेकिन फिर भी मैं बेफिक्र नहीं रह सकती, अस्तु यह तिलिस्मी तमंचा तू अपने पास रख और इस पहाड़ के नीचे ही रहकर हम लोगों के बारे में टोह लेती रह, अगर हम लोग अपना काम करके राजी-खुशी के साथ लौट आये तब तो कोई बात नहीं, ईश्वर न करे कहीं मैं गिरफ्तार हो गयी तो तू मुझे छुड़ाने का बन्दोबस्त कीजियो और इस तमंचे से काम निकालियो। इसमें चलानेवाली गोलियाँ और वह ताम्रपत्र भी मैं तुझे दिये जाती हूँ, जिसमें गोली बनाने की तरकीब लिखी हुई है।