Author: | Vibha Rani Srivastava | ISBN: | 1230000834353 |
Publisher: | onlinegatha | Publication: | December 9, 2015 |
Imprint: | Ebook | Language: | English |
Author: | Vibha Rani Srivastava |
ISBN: | 1230000834353 |
Publisher: | onlinegatha |
Publication: | December 9, 2015 |
Imprint: | Ebook |
Language: | English |
परिवर्तन जीवन का नियम है लेकिन यह नियम जितना शाश्वत है इसकी स्वीकार्यता उतनी सहज नहीं । परिवर्तन का विरोध हर स्तर पर सदा होता आया है । साहित्य भी इससे अछूता नहीं । साहित्य जीवन का प्रतिबिम्ब है इसलिए परिवर्तन का नियम इस पर भी लागू होता है और परिवर्तन के विरोध की सामान्य प्रवृति के कारण निराला की " जूही की कली " जैसी उत्कृष्ट कविता भी कभी अप्रकाशित लौट आई थी । आज हिंदी में जापानी विधाओं को लिखने का चलन बढ़ रहा है लेकिन इनको देखकर नाक-भौं चढ़ाने वाले भी कम नहीं । इसी प्रकार फेसबुक पर लिखी जा रही कविता के प्रति भी पुराने साहित्यकार वक्रदृष्टि रखते हैं ।
परिवर्तन जीवन का नियम है लेकिन यह नियम जितना शाश्वत है इसकी स्वीकार्यता उतनी सहज नहीं । परिवर्तन का विरोध हर स्तर पर सदा होता आया है । साहित्य भी इससे अछूता नहीं । साहित्य जीवन का प्रतिबिम्ब है इसलिए परिवर्तन का नियम इस पर भी लागू होता है और परिवर्तन के विरोध की सामान्य प्रवृति के कारण निराला की " जूही की कली " जैसी उत्कृष्ट कविता भी कभी अप्रकाशित लौट आई थी । आज हिंदी में जापानी विधाओं को लिखने का चलन बढ़ रहा है लेकिन इनको देखकर नाक-भौं चढ़ाने वाले भी कम नहीं । इसी प्रकार फेसबुक पर लिखी जा रही कविता के प्रति भी पुराने साहित्यकार वक्रदृष्टि रखते हैं ।