Mansarovar - Part 2 (Hindi)

Fiction & Literature, Short Stories, Literary
Cover of the book Mansarovar - Part 2 (Hindi) by Premchand, Sai ePublications & Sai Shop
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Premchand ISBN: 9781329908383
Publisher: Sai ePublications & Sai Shop Publication: December 1, 2016
Imprint: Sai ePublications & Sai Shop Language: English
Author: Premchand
ISBN: 9781329908383
Publisher: Sai ePublications & Sai Shop
Publication: December 1, 2016
Imprint: Sai ePublications & Sai Shop
Language: English

मानसरोवर - भाग 2कुसुमखुदाई फौजदारवेश्याचमत्कारमोटर के छींटेकैदीमिस पद्माविद्रोहीकुत्सादो बैलों की कथारियासत का दीवानमुफ्त का यशबासी भात में खुदा का साझादूध का दामबालकजीवन का शापडामुल का कैदीनेउरगृह-नीतिकानूनी कुमारलॉटरीजादूनया विवाहशूद्र---------साल-भर की बात है, एक दिन शाम को हवा खाने जा रहा था कि महाशय नवीन से मुलाक़ात हो गयी। मेरे पुराने दोस्त हैं, बड़े बेतकल्लुफ़ और मनचले। आगरे में मकान है, अच्छे कवि हैं। उनके कवि-समाज में कई बार शरीक हो चुका हूँ। ऐसा कविता का उपासक मैंने नहीं देखा। पेशा तो वकालत; पर डूबे रहते हैं काव्य-चिंतन में। आदमी ज़हीन हैं, मुक़दमा सामने आया और उसकी तह तक पहुँच गये; इसलिए कभी-कभी मुक़दमे मिल जाते हैं,लेकिन कचहरी के बाहर अदालत या मुक़दमे की चर्चा उनके लिए निषिद्ध है। अदालत की चारदीवारी के अन्दर चार-पाँच घंटे वह वकील होते हैं।चारदीवारी के बाहर निकलते ही कवि हैं सिर से पाँव तक। जब देखिये, कवि-मण्डल जमा है, कवि-चर्चा हो रही है, रचनाएँ सुन रहे हैं। मस्त हो-होकर झूम रहे हैं, और अपनी रचना सुनाते समय तो उन पर एक तल्लीनता-सी छा जाती है। कण्ठ स्वर भी इतना मधुर है कि उनके पद बाण की तरह सीधे कलेजे में उतर जाते हैं। अध्यात्म में माधुर्य की सृष्टि करना, निर्गुण में सगुण की बहार दिखाना उनकी रचनाओं की विशेषता है। वह जब लखनऊ आते हैं, मुझे पहले सूचना दे दिया करते हैं। आज उन्हें अनायास लखनऊ में देखकर मुझे आश्चर्य हुआ आप यहाँ कैसे ? कुशल तो है ? मुझे आने की सूचना तक न दी। बोले भाईजान, एक जंजाल में फँस गया हूँ। आपको सूचित करने का समय न था। फिर आपके घर को मैं अपना घर समझता हूँ। इस तकल्लुफ़ की क्या ज़रूरत है कि आप मेरे लिए कोई विशेष प्रबन्ध करें। मैं एक ज़रूरी मुआमले में आपको कष्ट देने आया हूँ। इस वक्त की सैर को स्थगित कीजिए और चलकर मेरी विपत्ति-कथा सुनिये।मैंने घबड़ाकर कहा आपने तो मुझे चिन्ता में डाल दिया। आप और विपत्ति-कथा ! मेरे तो प्राण सूखे जाते हैं।'घर चलिए, चित्त शान्त हो तो सुनाऊँ !''बाल-बच्चे तो अच्छी तरह हैं ?''हाँ, सब अच्छी तरह हैं। वैसी कोई बात नहीं है !'

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

मानसरोवर - भाग 2कुसुमखुदाई फौजदारवेश्याचमत्कारमोटर के छींटेकैदीमिस पद्माविद्रोहीकुत्सादो बैलों की कथारियासत का दीवानमुफ्त का यशबासी भात में खुदा का साझादूध का दामबालकजीवन का शापडामुल का कैदीनेउरगृह-नीतिकानूनी कुमारलॉटरीजादूनया विवाहशूद्र---------साल-भर की बात है, एक दिन शाम को हवा खाने जा रहा था कि महाशय नवीन से मुलाक़ात हो गयी। मेरे पुराने दोस्त हैं, बड़े बेतकल्लुफ़ और मनचले। आगरे में मकान है, अच्छे कवि हैं। उनके कवि-समाज में कई बार शरीक हो चुका हूँ। ऐसा कविता का उपासक मैंने नहीं देखा। पेशा तो वकालत; पर डूबे रहते हैं काव्य-चिंतन में। आदमी ज़हीन हैं, मुक़दमा सामने आया और उसकी तह तक पहुँच गये; इसलिए कभी-कभी मुक़दमे मिल जाते हैं,लेकिन कचहरी के बाहर अदालत या मुक़दमे की चर्चा उनके लिए निषिद्ध है। अदालत की चारदीवारी के अन्दर चार-पाँच घंटे वह वकील होते हैं।चारदीवारी के बाहर निकलते ही कवि हैं सिर से पाँव तक। जब देखिये, कवि-मण्डल जमा है, कवि-चर्चा हो रही है, रचनाएँ सुन रहे हैं। मस्त हो-होकर झूम रहे हैं, और अपनी रचना सुनाते समय तो उन पर एक तल्लीनता-सी छा जाती है। कण्ठ स्वर भी इतना मधुर है कि उनके पद बाण की तरह सीधे कलेजे में उतर जाते हैं। अध्यात्म में माधुर्य की सृष्टि करना, निर्गुण में सगुण की बहार दिखाना उनकी रचनाओं की विशेषता है। वह जब लखनऊ आते हैं, मुझे पहले सूचना दे दिया करते हैं। आज उन्हें अनायास लखनऊ में देखकर मुझे आश्चर्य हुआ आप यहाँ कैसे ? कुशल तो है ? मुझे आने की सूचना तक न दी। बोले भाईजान, एक जंजाल में फँस गया हूँ। आपको सूचित करने का समय न था। फिर आपके घर को मैं अपना घर समझता हूँ। इस तकल्लुफ़ की क्या ज़रूरत है कि आप मेरे लिए कोई विशेष प्रबन्ध करें। मैं एक ज़रूरी मुआमले में आपको कष्ट देने आया हूँ। इस वक्त की सैर को स्थगित कीजिए और चलकर मेरी विपत्ति-कथा सुनिये।मैंने घबड़ाकर कहा आपने तो मुझे चिन्ता में डाल दिया। आप और विपत्ति-कथा ! मेरे तो प्राण सूखे जाते हैं।'घर चलिए, चित्त शान्त हो तो सुनाऊँ !''बाल-बच्चे तो अच्छी तरह हैं ?''हाँ, सब अच्छी तरह हैं। वैसी कोई बात नहीं है !'

More books from Sai ePublications & Sai Shop

Cover of the book Aarti Sangrah (Hindi) by Premchand
Cover of the book The Money Moon by Premchand
Cover of the book Grah Niti Aur Naya Vivah (Hindi) by Premchand
Cover of the book Mansarovar - Part 3 (Hindi) by Premchand
Cover of the book Mansarovar - Part 2 (Hindi) by Premchand
Cover of the book Mansarovar - Part 7 (Hindi) by Premchand
Cover of the book The Coast of Chance by Premchand
Cover of the book Duniya Ka Sabse Anmol Ratan (Hindi) by Premchand
Cover of the book Ghar Jamai Aur Dhikkar (Hindi) by Premchand
Cover of the book Ghaswali Aur Dil ki Rani (Hindi) by Premchand
Cover of the book Holi Ka Uphar (Hindi) by Premchand
Cover of the book 11 Vars Ka Samay (Hindi) by Premchand
Cover of the book Eidgah Aur Gulli Danda (Hindi) by Premchand
Cover of the book Manovratti Aur Lanchan (Hindi) by Premchand
Cover of the book The Loves of Krishna: In Indian Painting and Poetry (Illustrated) by Premchand
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy