ज्ञानमार्ग कठिन है और ज्ञानमार्ग की साधना बताने वाले अनुभवी पुरुषों का मिलना भी बहुत कठिन है। अत: विवेकमार्ग में चलना कलियुग में बहुत कठिन है। तात्पर्य है कि इस कलियुग में कर्म, भक्ति और ज्ञान-इन तीनों का होना बहुत कठिन है, पर भगवान का नाम लेना कठिन नहीं है। भगवान का नाम सभी ले सकते हैं; क्योंकि उसमें कोई विधि-विधान नहीं है। उसको बालक, स्त्री, पुरुष, वृद्ध, रोगी आदि सभी ले सकते हैं और हर समय, हर परिस्थिति में, हर अवस्था में ले सकते हैं।
ज्ञानमार्ग कठिन है और ज्ञानमार्ग की साधना बताने वाले अनुभवी पुरुषों का मिलना भी बहुत कठिन है। अत: विवेकमार्ग में चलना कलियुग में बहुत कठिन है। तात्पर्य है कि इस कलियुग में कर्म, भक्ति और ज्ञान-इन तीनों का होना बहुत कठिन है, पर भगवान का नाम लेना कठिन नहीं है। भगवान का नाम सभी ले सकते हैं; क्योंकि उसमें कोई विधि-विधान नहीं है। उसको बालक, स्त्री, पुरुष, वृद्ध, रोगी आदि सभी ले सकते हैं और हर समय, हर परिस्थिति में, हर अवस्था में ले सकते हैं।