Author: | Vyas jaishwal | ISBN: | 1230001639018 |
Publisher: | onlinegatha | Publication: | April 15, 2017 |
Imprint: | Onlinegatha | Language: | English |
Author: | Vyas jaishwal |
ISBN: | 1230001639018 |
Publisher: | onlinegatha |
Publication: | April 15, 2017 |
Imprint: | Onlinegatha |
Language: | English |
जीवन सघर्ष एवं योग्य गुरु ही योग्य व्यक्ति का निर्माण करता है जीवन में सुख एवं दुःख तो आते ही रहेगे कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं हो सकता इसलिए धर्म की रस्सी पकड़ कर सदा आगे बढिये
जो अच्छा हो उसे अपने आचरण में लाये जो बुरा हो उसे विना एक सेकेण्ड विताये छोड़ दीजिये यही सफलता का मूल मंत्र हे
अच्छे लोगो का संगत करिये अच्छे अवसर को पहचाने और उसे कर्म का दुर्ग वना लेवे सदा अच्छा सोचिए एवं ज्यादा सोचिए चिंतन की पद्धति को अपनाइये यही आचरण एव उच्च सोच एक दिन निश्चित आपको गरीवी के कचडे से निकल कर धन बैभब एव सम्पन्नता की गददी पर बैठा देगा
जीवन सघर्ष एवं योग्य गुरु ही योग्य व्यक्ति का निर्माण करता है जीवन में सुख एवं दुःख तो आते ही रहेगे कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं हो सकता इसलिए धर्म की रस्सी पकड़ कर सदा आगे बढिये
जो अच्छा हो उसे अपने आचरण में लाये जो बुरा हो उसे विना एक सेकेण्ड विताये छोड़ दीजिये यही सफलता का मूल मंत्र हे
अच्छे लोगो का संगत करिये अच्छे अवसर को पहचाने और उसे कर्म का दुर्ग वना लेवे सदा अच्छा सोचिए एवं ज्यादा सोचिए चिंतन की पद्धति को अपनाइये यही आचरण एव उच्च सोच एक दिन निश्चित आपको गरीवी के कचडे से निकल कर धन बैभब एव सम्पन्नता की गददी पर बैठा देगा