राष्ट्र के प्रत्येक युवा का वर्तमान परिस्थितियों में यही कर्त्तव्य है कि वह अपनी पुरातन संस्कृति से ओतप्रोत अपनी मातृभूमि के उत्थान के लिए कार्य करने वाली वीर संतान बने। वृद्ध लोग सीमित समय के लिए कार्य करते हैं और युवा अनंत समय के लिए। ध्यान रहे सीधे लक्ष्य की ओर बढ़ना है, कमर सीधी कर, दृढ़ होकर अपनी जमीन, अपनी अस्मिता को दृढ़ता से पकड़कर ऊँचे आकाशवत् आदर्शों को देखना है। तभी राष्ट्र निर्माण के लिए सार्थक प्रयास हो सकेंगे।
राष्ट्र के प्रत्येक युवा का वर्तमान परिस्थितियों में यही कर्त्तव्य है कि वह अपनी पुरातन संस्कृति से ओतप्रोत अपनी मातृभूमि के उत्थान के लिए कार्य करने वाली वीर संतान बने। वृद्ध लोग सीमित समय के लिए कार्य करते हैं और युवा अनंत समय के लिए। ध्यान रहे सीधे लक्ष्य की ओर बढ़ना है, कमर सीधी कर, दृढ़ होकर अपनी जमीन, अपनी अस्मिता को दृढ़ता से पकड़कर ऊँचे आकाशवत् आदर्शों को देखना है। तभी राष्ट्र निर्माण के लिए सार्थक प्रयास हो सकेंगे।