Vijay, Vivek Aur Vibhuti (Hindi Religious)

विजय, विवेक और विभूति

Nonfiction, Reference & Language, Foreign Languages, Indic & South Asian Languages, Religion & Spirituality, Eastern Religions, Hinduism
Cover of the book Vijay, Vivek Aur Vibhuti (Hindi Religious) by Sri Ramkinkar Ji, श्री रामकिंकर जी, Bhartiya Sahitya Inc.
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Author: Sri Ramkinkar Ji, श्री रामकिंकर जी ISBN: 9781613013007
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: January 26, 2014
Imprint: Language: Hindi
Author: Sri Ramkinkar Ji, श्री रामकिंकर जी
ISBN: 9781613013007
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: January 26, 2014
Imprint:
Language: Hindi
तीन वस्तुएँ प्राप्त होती हैं - विजय, विवेक और विभूति, परन्तु किसको? एक शब्द जोड़ दिया गया कि जो ‘सुजान’ हैं। ‘रामायण’ का पाठ और श्रवण तो बहुधा अनेक लोग करते ही रहते हैं, परन्तु गोस्वामीजी ने जो ‘सुजान’ शब्द जोड़ दिया, यह बड़े महत्व का है। कहने वाला भी सुजान हो और सुनने वाला भी सुजान हो, यह गोस्वामीजी की शर्त है। यह सुजान शब्द कहाँ से जुड़ा हुआ है, इस पर ध्यान दीजिए! श्रीराम की जब रावण पर विजय हुई तो देवताओं ने आकाश से पुष्प वर्षा की और बधाई देने के लिए एकत्र हुए। उन्होंने कहा कि इस दुष्ट का वध करके आपने हम लोगों को धन्य कर दिया।
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तीन वस्तुएँ प्राप्त होती हैं - विजय, विवेक और विभूति, परन्तु किसको? एक शब्द जोड़ दिया गया कि जो ‘सुजान’ हैं। ‘रामायण’ का पाठ और श्रवण तो बहुधा अनेक लोग करते ही रहते हैं, परन्तु गोस्वामीजी ने जो ‘सुजान’ शब्द जोड़ दिया, यह बड़े महत्व का है। कहने वाला भी सुजान हो और सुनने वाला भी सुजान हो, यह गोस्वामीजी की शर्त है। यह सुजान शब्द कहाँ से जुड़ा हुआ है, इस पर ध्यान दीजिए! श्रीराम की जब रावण पर विजय हुई तो देवताओं ने आकाश से पुष्प वर्षा की और बधाई देने के लिए एकत्र हुए। उन्होंने कहा कि इस दुष्ट का वध करके आपने हम लोगों को धन्य कर दिया।

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