खलिश

Khalish

Fiction & Literature, Short Stories, Romance
Cover of the book खलिश by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी', Book Bazooka
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी' ISBN: 1230002060149
Publisher: Book Bazooka Publication: December 22, 2017
Imprint: Book Bazooka Language: English
Author: Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
ISBN: 1230002060149
Publisher: Book Bazooka
Publication: December 22, 2017
Imprint: Book Bazooka
Language: English

शाम का समय हो चुका था। अब सूर्य अपनी आज की यात्रा के समापन की तरफ अग्रसर था, अपने सात घोड़ों से सुसज्जित रथ को लेकर अपने शामनुमा महल में प्रवेश कर रहा था। इसी समय चबूतरें पर एक कबूतरों की टोली ने अपना कब्जा जमा लिया था जो कि अक्सर शाम होते ही हर रोज आ जाते थे। सब अपने-अपने में मस्त थे, व्यस्त थे। कोई इनमें दूध सा सफेद था तो कोई काजल सा काला, कोई अपने शरीर पर विभिन्न रंग समेटे था तो कोई काले व सफेद का सामंजस्य बिठाए हुए था। इन कबूतरों की संख्या करीब बीस होगी ही, इनमें कुछ नर थे। तो कुछ मादाएं भी थी। जो शाम के वक्त अक्सर अपने इस टोल के साथ रहते थे। साथ ही उड़ते-बैठते, खाते-पीते, लम्बी उड़ान भरते मगर फिर भी सब अपने तक ही सीमित थे। मगर आज कुछ अलग हो रहा था। एक कबूतर जिसके सफेद रंग पर पड़े काले धब्बे उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे। उस कबूतर की नजर सामने ही बैठी एक सफेद कबूतरी पर पड़ी। वह कबूतरी दूध सी सफेद व ताजमहल के संगमरमर सी चमक अपने पंखों में लिए हुए थी। आज कबूतर ने उस कबूतरी को पहली बार देखा था। मगर कुछ देर बाद कबूतर व कबूतरी के नयनों को आमना-सामना हुआ और आँखों ही आँखों में मानों दोनों ने एक-दूसरे को दिल दे दिया हो। कुछ समय बाद सब उड़ने की तैयारी में थे ताकि अन्धेरा होने से पहले अपने-अपने आशियानों में वापिस जा सके। मगर वो दोनों एक-दूसरे को निहारने में व्यस्त थे, दोनों एक-दूसरे की आँखों में ऐसे खोए हुए थे मानों दोनों ने एक-दूसरे को अपना जन्म-जन्म का जीवनसाथी मिल गया हो। साथी कबूतर उड़ने के कारण हुई पंखों की कड़कड़ाहट के कारण दोनों का ध्यान टूटा व दोनों ने भी पंख फैलाकर उड़ान भरी। कबूतरी चली गयी अपने आशियाने की तरफ और कबूतर बैठ गया वही झील के पास एक ठूंठ पर बने अपने कोटरनुमा आशियाने में................................

View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart

शाम का समय हो चुका था। अब सूर्य अपनी आज की यात्रा के समापन की तरफ अग्रसर था, अपने सात घोड़ों से सुसज्जित रथ को लेकर अपने शामनुमा महल में प्रवेश कर रहा था। इसी समय चबूतरें पर एक कबूतरों की टोली ने अपना कब्जा जमा लिया था जो कि अक्सर शाम होते ही हर रोज आ जाते थे। सब अपने-अपने में मस्त थे, व्यस्त थे। कोई इनमें दूध सा सफेद था तो कोई काजल सा काला, कोई अपने शरीर पर विभिन्न रंग समेटे था तो कोई काले व सफेद का सामंजस्य बिठाए हुए था। इन कबूतरों की संख्या करीब बीस होगी ही, इनमें कुछ नर थे। तो कुछ मादाएं भी थी। जो शाम के वक्त अक्सर अपने इस टोल के साथ रहते थे। साथ ही उड़ते-बैठते, खाते-पीते, लम्बी उड़ान भरते मगर फिर भी सब अपने तक ही सीमित थे। मगर आज कुछ अलग हो रहा था। एक कबूतर जिसके सफेद रंग पर पड़े काले धब्बे उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे। उस कबूतर की नजर सामने ही बैठी एक सफेद कबूतरी पर पड़ी। वह कबूतरी दूध सी सफेद व ताजमहल के संगमरमर सी चमक अपने पंखों में लिए हुए थी। आज कबूतर ने उस कबूतरी को पहली बार देखा था। मगर कुछ देर बाद कबूतर व कबूतरी के नयनों को आमना-सामना हुआ और आँखों ही आँखों में मानों दोनों ने एक-दूसरे को दिल दे दिया हो। कुछ समय बाद सब उड़ने की तैयारी में थे ताकि अन्धेरा होने से पहले अपने-अपने आशियानों में वापिस जा सके। मगर वो दोनों एक-दूसरे को निहारने में व्यस्त थे, दोनों एक-दूसरे की आँखों में ऐसे खोए हुए थे मानों दोनों ने एक-दूसरे को अपना जन्म-जन्म का जीवनसाथी मिल गया हो। साथी कबूतर उड़ने के कारण हुई पंखों की कड़कड़ाहट के कारण दोनों का ध्यान टूटा व दोनों ने भी पंख फैलाकर उड़ान भरी। कबूतरी चली गयी अपने आशियाने की तरफ और कबूतर बैठ गया वही झील के पास एक ठूंठ पर बने अपने कोटरनुमा आशियाने में................................

More books from Book Bazooka

Cover of the book प्रत्याशा एक पग पथ की ओर by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book जज्बात-ए-क़लम- एक खूबसूरत एहसास by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book अल्फ़ाज़-ए-मोहब्बत by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book यादो के कुछ मोती by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book Premanjali by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book सावन मन का भी हरा है by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book मैं कातिल हूँ ....मेरी दादी का.... by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book A Fragment of My Heart by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book अनकहे पहलू by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book Motivational and Self Regulated Learning of Creative Students by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book यादों में तुम by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book Simantini by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book कुछ रंग ज़िन्दगी के by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book ILLI and GRANNY by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
Cover of the book दीपशिखा by Arvind Gautam Bendi, अरविन्द गौतम 'बेंदी'
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy