दीपशिखा

Deepshikha

Fiction & Literature, Poetry
Cover of the book दीपशिखा by DR Pradeep Kumar Deep, Book Bazooka
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Author: DR Pradeep Kumar Deep ISBN: 1230002060101
Publisher: Book Bazooka Publication: December 22, 2017
Imprint: Book Bazooka Language: English
Author: DR Pradeep Kumar Deep
ISBN: 1230002060101
Publisher: Book Bazooka
Publication: December 22, 2017
Imprint: Book Bazooka
Language: English

"दीप " और " दीपशिखा " का शाश्वत मेल पूर्णता का द्योतक है | बिना दीप के दीपशिखा का न तो यथार्थ अस्तित्व है और न ही दीपशिखा के बिना दीप का कोई अर्थ है | यही बात जीवन पर भी पूर्णत: लागू होती है , क्यों कि वास्तविक और सार्थक जीवन वही है जो उद्देश्यपूर्ण , सार्थक , मंगलकारी और उत्सव के रूप में हो | जीवन का यह स्वरूप तभी संभव है , जब पति-पत्नी , प्रेमी-प्रेमिका , सखा-सखि आपसी प्रेम , विश्वास , मर्यादा ,समर्पण , निष्ठा और आत्मिक लगाव की श्रेष्ठता को सत्व गुण की प्रबलता के साथ अनन्तचतुष्ट्य स्वरूप में स्थापित करते हुए प्रेम के पवित्र साध्य को अपनी रूह में आत्मसात् करें | चूँकि वर्तमान दौर आधुनिकता और भौतिकता में पूर्णत : बदल चुका है | अत : आवश्यकता है कि अपने विवेक , धैर्य और कर्मठता के साथ अपने साथी के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन किया जाये | यदि एक गंभीर हो जाता है तो दूसरे का स्नेहिल बने रहना , छोटी-छोटी खुशियों के लिए बेहद जरूरी है | जैसा कि हम सब चाहते हैं कि जीवन एक "उत्सव" की तरह होना चाहिए | इसके लिए जरूरी है कि अपने साथी के हर छोटे-बड़े कार्यों की सराहना की जाए | एक प्यार भरा शब्द तन-मन की पूरी थकान मिटा देता है | माना कि जीवन में अनेक परेशानियाँ , तकलीफ और दु:ख-दर्द आते रहते हैं , किन्तु इन सब से हम आपसी व्यवहार और समझ से निबट सकते हैं | जिस प्रकार दीपक की बाती दीप के संग तब तक जलती रहती है , जब तक कि अंधकार का पूर्णत : विनाश नहीं हो जाता | उसी प्रकार आपसी संयोग इतना श्रेष्ठ और मजबूत होना चाहिए , ताकि जीवन को आनन्द और प्रेम के साथ जीया जाए |

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"दीप " और " दीपशिखा " का शाश्वत मेल पूर्णता का द्योतक है | बिना दीप के दीपशिखा का न तो यथार्थ अस्तित्व है और न ही दीपशिखा के बिना दीप का कोई अर्थ है | यही बात जीवन पर भी पूर्णत: लागू होती है , क्यों कि वास्तविक और सार्थक जीवन वही है जो उद्देश्यपूर्ण , सार्थक , मंगलकारी और उत्सव के रूप में हो | जीवन का यह स्वरूप तभी संभव है , जब पति-पत्नी , प्रेमी-प्रेमिका , सखा-सखि आपसी प्रेम , विश्वास , मर्यादा ,समर्पण , निष्ठा और आत्मिक लगाव की श्रेष्ठता को सत्व गुण की प्रबलता के साथ अनन्तचतुष्ट्य स्वरूप में स्थापित करते हुए प्रेम के पवित्र साध्य को अपनी रूह में आत्मसात् करें | चूँकि वर्तमान दौर आधुनिकता और भौतिकता में पूर्णत : बदल चुका है | अत : आवश्यकता है कि अपने विवेक , धैर्य और कर्मठता के साथ अपने साथी के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहन किया जाये | यदि एक गंभीर हो जाता है तो दूसरे का स्नेहिल बने रहना , छोटी-छोटी खुशियों के लिए बेहद जरूरी है | जैसा कि हम सब चाहते हैं कि जीवन एक "उत्सव" की तरह होना चाहिए | इसके लिए जरूरी है कि अपने साथी के हर छोटे-बड़े कार्यों की सराहना की जाए | एक प्यार भरा शब्द तन-मन की पूरी थकान मिटा देता है | माना कि जीवन में अनेक परेशानियाँ , तकलीफ और दु:ख-दर्द आते रहते हैं , किन्तु इन सब से हम आपसी व्यवहार और समझ से निबट सकते हैं | जिस प्रकार दीपक की बाती दीप के संग तब तक जलती रहती है , जब तक कि अंधकार का पूर्णत : विनाश नहीं हो जाता | उसी प्रकार आपसी संयोग इतना श्रेष्ठ और मजबूत होना चाहिए , ताकि जीवन को आनन्द और प्रेम के साथ जीया जाए |

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