Author: | Raja Sharma | ISBN: | 9781301168002 |
Publisher: | Raja Sharma | Publication: | August 8, 2013 |
Imprint: | Smashwords Edition | Language: | Hindi |
Author: | Raja Sharma |
ISBN: | 9781301168002 |
Publisher: | Raja Sharma |
Publication: | August 8, 2013 |
Imprint: | Smashwords Edition |
Language: | Hindi |
उस मोटी औरत के बाद एक आदमी आया था। रस्सी से बाँधे हुए पांच मुर्गे उस आदमी के दायें हाथ में उल्टे लटक रहे थे। मुर्गे अपनी मृत्यू के आभास से चिल्ला रहे थे।
बालेश्वर सोच्ने लगा कि यदि उस आदमी को रस्सी से बाँध कर उल्टा लटका दिया जाए तो उसको कैसा लगेगा। एक क्षण को तो उसके मन में विचार आया कि उस आदमी के हाथ से मुर्गे छीन ले और उनको स्वतन्त्र कर दे पर उसने देखा कि वो आदमी उसकी सवारी था और घर पहुंचने के बाद वो उसे पैसे देने वाला था। बालेश्वर को महसूस हुआ की कुछ पैसे के लिए हम कितनी आसानी से जीव जंतुओं को मार देते हैं।
बालेश्वर जिस गांव से शहर आया था उस गांव में सभी लोग शाकाहारी थे और जीव जंतुओं की हत्या को महापाप माना जाता था.
उस मोटी औरत के बाद एक आदमी आया था। रस्सी से बाँधे हुए पांच मुर्गे उस आदमी के दायें हाथ में उल्टे लटक रहे थे। मुर्गे अपनी मृत्यू के आभास से चिल्ला रहे थे।
बालेश्वर सोच्ने लगा कि यदि उस आदमी को रस्सी से बाँध कर उल्टा लटका दिया जाए तो उसको कैसा लगेगा। एक क्षण को तो उसके मन में विचार आया कि उस आदमी के हाथ से मुर्गे छीन ले और उनको स्वतन्त्र कर दे पर उसने देखा कि वो आदमी उसकी सवारी था और घर पहुंचने के बाद वो उसे पैसे देने वाला था। बालेश्वर को महसूस हुआ की कुछ पैसे के लिए हम कितनी आसानी से जीव जंतुओं को मार देते हैं।
बालेश्वर जिस गांव से शहर आया था उस गांव में सभी लोग शाकाहारी थे और जीव जंतुओं की हत्या को महापाप माना जाता था.