Author: | Rabindranath Tagore | ISBN: | 6610000017812 |
Publisher: | Sai ePublications | Publication: | May 4, 2017 |
Imprint: | Sai ePublications | Language: | Hindi |
Author: | Rabindranath Tagore |
ISBN: | 6610000017812 |
Publisher: | Sai ePublications |
Publication: | May 4, 2017 |
Imprint: | Sai ePublications |
Language: | Hindi |
अनाथ
गांव की किसी एक अभागिनी के अत्याचारी पति के तिरस्कृत कर्मों की पूरी व्याख्या करने के बाद पड़ोसिन तारामती ने अपनी राय संक्षेप में प्रकट करते हुए कहा- ''आग लगे ऐसे पति के मुंह में।'' सुनकर जयगोपाल बाबू की पत्नी शशिकला को बहुत बुरा लगा और ठेस भी पहुंची। उसने जबान से तो कुछ नहीं कहा, पर अन्दर-ही-अन्दर सोचने लगी कि पति जाति के मुख में सिगरेट सिगार की आग के सिवा और किसी तरह की आग लगाना या कल्पना करना कम-से-कम नारी जाति के लिए कभी किसी भी अवस्था में शोभा नहीं देता?
अनमोल भेंट
रायचरण बारह वर्ष की आयु से अपने मालिक का बच्चा खिलाने पर नौकर हुआ था। उसके पश्चात् काफी समय बीत गया। नन्हा बच्चा रायचरण की गोद से निकलकर स्कूल में प्रविष्ट हुआ, स्कूल से कॉलिज में पहुँचा, फिर एक सरकारी स्थान पर लग गया। किन्तु रायचरण अब भी बच्चा खिलाता था, यह बच्चा उसकी गोद के पाले हुए अनुकूल बाबू का पुत्र था।
अनाथ
गांव की किसी एक अभागिनी के अत्याचारी पति के तिरस्कृत कर्मों की पूरी व्याख्या करने के बाद पड़ोसिन तारामती ने अपनी राय संक्षेप में प्रकट करते हुए कहा- ''आग लगे ऐसे पति के मुंह में।'' सुनकर जयगोपाल बाबू की पत्नी शशिकला को बहुत बुरा लगा और ठेस भी पहुंची। उसने जबान से तो कुछ नहीं कहा, पर अन्दर-ही-अन्दर सोचने लगी कि पति जाति के मुख में सिगरेट सिगार की आग के सिवा और किसी तरह की आग लगाना या कल्पना करना कम-से-कम नारी जाति के लिए कभी किसी भी अवस्था में शोभा नहीं देता?
अनमोल भेंट
रायचरण बारह वर्ष की आयु से अपने मालिक का बच्चा खिलाने पर नौकर हुआ था। उसके पश्चात् काफी समय बीत गया। नन्हा बच्चा रायचरण की गोद से निकलकर स्कूल में प्रविष्ट हुआ, स्कूल से कॉलिज में पहुँचा, फिर एक सरकारी स्थान पर लग गया। किन्तु रायचरण अब भी बच्चा खिलाता था, यह बच्चा उसकी गोद के पाले हुए अनुकूल बाबू का पुत्र था।