Gramya Jivan Ki Kahaniyan (Hindi Stories)

ग्राम्य जीवन की कहानियां

Nonfiction, Health & Well Being, Self Help, Self Improvement, Stress Management, Fiction & Literature
Cover of the book Gramya Jivan Ki Kahaniyan (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द, Bhartiya Sahitya Inc.
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Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द ISBN: 9781613010686
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: April 10, 2012
Imprint: Language: Hindi
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
ISBN: 9781613010686
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: April 10, 2012
Imprint:
Language: Hindi
उपन्यासों की भाँति कहानियाँ भी कुछ घटना-प्रधान होती हैं, मगर कहानी में बहुत विस्तृत विशलेषण की गुंजायश नहीं होती। यहाँ हमारा उद्देश्य सम्पूर्ण मनुष्य को चित्रित करना नहीं, वरन् उसके चरित्र का अंग दिखाना है। यह परमावश्यक है कि हमारी कहानी से जो परिणाम या तत्त्व निकले वह सर्वमान्य हो, और उसमें कुछ बारीकी हो। यह एक साधारण नियम है कि हमें उसी बात में आनन्द आता है, जिससे हमारा कुछ सम्बन्ध हो। जुआ खेलनेवालों को जो उन्माद और उल्लास होता है, वह दर्शक को कदापि नहीं हो कहता। जब हमारे चरित्र इतने सजीव और आकर्षक होते हैं, कि पाठक अपने को उनके स्थान पर समझ लेता है तभी उसे कहानी में आनंद प्राप्त होता है। अगर लेखक ने अपने पात्रों के प्रति पाठक में यह सहानुभूति नहीं उत्पन्न कर दी तो वह अपने उद्देश्य में असफल है।
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उपन्यासों की भाँति कहानियाँ भी कुछ घटना-प्रधान होती हैं, मगर कहानी में बहुत विस्तृत विशलेषण की गुंजायश नहीं होती। यहाँ हमारा उद्देश्य सम्पूर्ण मनुष्य को चित्रित करना नहीं, वरन् उसके चरित्र का अंग दिखाना है। यह परमावश्यक है कि हमारी कहानी से जो परिणाम या तत्त्व निकले वह सर्वमान्य हो, और उसमें कुछ बारीकी हो। यह एक साधारण नियम है कि हमें उसी बात में आनन्द आता है, जिससे हमारा कुछ सम्बन्ध हो। जुआ खेलनेवालों को जो उन्माद और उल्लास होता है, वह दर्शक को कदापि नहीं हो कहता। जब हमारे चरित्र इतने सजीव और आकर्षक होते हैं, कि पाठक अपने को उनके स्थान पर समझ लेता है तभी उसे कहानी में आनंद प्राप्त होता है। अगर लेखक ने अपने पात्रों के प्रति पाठक में यह सहानुभूति नहीं उत्पन्न कर दी तो वह अपने उद्देश्य में असफल है।

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