वे आत्मास्वरूप थे! वे जानते थे कि वे शुद्ध आत्मास्वरूप हैं - देह में अवस्थित हो मानवजाति के कल्याण के लिए देह का परिचालन मात्र कर रहे हैं। देह के साथ उनका केवल इतना ही सम्पर्क था। वे वास्तव में विदेह, शुद्ध-बुद्ध-मुक्त आत्मास्वरूप थे। यही नहीं, उन्होंने अपनी अद्भुत दिव्य दृष्टि से जान लिया था कि सभी नर-नारी, चाहे वे यहूदी हों या किसी अन्य इतर जाति के हों, दरिद्र हों या धनवान् साधु हों या पापात्मा, उनके ही समान अविनाशी आत्मास्वरूप हैं। उन्होंने कहा, ''यह कुसंस्कारमय मिथ्या भावना छोड़ दो कि तुम हीन हो और यह कि तुम दरिद्र हो।'' उन्होंने घोषणा की, ''तू जान कि स्वर्ग का राज्य तेरे भीतर अवस्थित है।'' ईसामसीह उन सबके साकारस्वरूप हैं, जो उनकी जाति में श्रेष्ठ और उच्च हैं; और वे केवल अपनी ही जाति के नहीं, अपितु असंख्य जातियों के भावी जीवन के शक्ति स्रोत हैं। - स्वामी विवेकानन्द
वे आत्मास्वरूप थे! वे जानते थे कि वे शुद्ध आत्मास्वरूप हैं - देह में अवस्थित हो मानवजाति के कल्याण के लिए देह का परिचालन मात्र कर रहे हैं। देह के साथ उनका केवल इतना ही सम्पर्क था। वे वास्तव में विदेह, शुद्ध-बुद्ध-मुक्त आत्मास्वरूप थे। यही नहीं, उन्होंने अपनी अद्भुत दिव्य दृष्टि से जान लिया था कि सभी नर-नारी, चाहे वे यहूदी हों या किसी अन्य इतर जाति के हों, दरिद्र हों या धनवान् साधु हों या पापात्मा, उनके ही समान अविनाशी आत्मास्वरूप हैं। उन्होंने कहा, ''यह कुसंस्कारमय मिथ्या भावना छोड़ दो कि तुम हीन हो और यह कि तुम दरिद्र हो।'' उन्होंने घोषणा की, ''तू जान कि स्वर्ग का राज्य तेरे भीतर अवस्थित है।'' ईसामसीह उन सबके साकारस्वरूप हैं, जो उनकी जाति में श्रेष्ठ और उच्च हैं; और वे केवल अपनी ही जाति के नहीं, अपितु असंख्य जातियों के भावी जीवन के शक्ति स्रोत हैं। - स्वामी विवेकानन्द