Author: | Premchand | ISBN: | 9781329908451 |
Publisher: | Sai ePublications & Sai Shop | Publication: | December 1, 2016 |
Imprint: | Sai ePublications & Sai Shop | Language: | English |
Author: | Premchand |
ISBN: | 9781329908451 |
Publisher: | Sai ePublications & Sai Shop |
Publication: | December 1, 2016 |
Imprint: | Sai ePublications & Sai Shop |
Language: | English |
मानसरोवर - भाग 1अलग्योझा ईदगाह माँ बेटोंवाली विधवा बड़े भाई साहब शांति नशा स्वामिनी ठाकुर का कुआँ घर जमाई पूस की रात झाँकी गुल्ली-डंडा ज्योति दिल की रानी धिक्कार कायर शिकार सुभागी अनुभव लांछन आखिरी हीला तावान घासवाली गिला रसिक संपादक मनोवृत्तिमानसरोवर - भाग 2कुसुम दाई फौजदार वेश्या चमत्कार मोटर के छींटे कैदी मिस पद्मा विद्रोही कुत्सा दो बैलों की कथा रियासत का दीवान मुफ्त का यश बासी भात में खुदा का साझा दूध का दाम बालक जीवन का शाप डामुल का कैदी नेउर गृह-नीति कानूनी कुमार लॉटरी जादू नया विवाह शूद्रमानसरोवर - भाग 3विश्वास नरक का मार्ग स्त्री और पुरुष उध्दार निर्वासन नैराश्य लीला कौशल स्वर्ग की देवी आधार एक आँच की कसर माता का हृदय परीक्षा तेंतर नैराश्य दण्ड धिक्कार लैला मुक्तिधन दीक्षा क्षमा मनुष्य का परम धर्म गुरु-मंत्र सौभाग्य के कोड़े विचित्र होली मुक्ति-मार्ग डिक्री के रुपये शतरंज के खिलाड़ी वज्रपात सत्याग्रह भाड़े का टट्टू बाबाजी का भोग विनोदमानसरोवर - भाग 4प्रेरणा सद्गति तगादा दो कब्रें ढपोरसंख डिमॉन्सट्रेशन दारोगाजी अभिलाषा खुचड़ आगा-पीछा प्रेम का उदय सती मृतक-भोज भूत सवा सेर गेहूँ सभ्यता का रहस्य समस्या दो सखियाँ स्मृति का पुजारी-----------------------भोला महतो ने पहली स्त्री के मर जाने बाद दूसरी सगाई की तो उसके लड़के रग्घू के लिये बुरे दिन आ गये। रग्घू की उम्र उस समय केवल दस वर्ष की थी। चैन से गाँव में गुल्ली-डंडा खेलता फिरता था। माँ के आते ही चक्की में जुतना पड़ा। पन्ना रुपवती स्त्री थी और रुप और गर्व में चोली-दामन का नाता है। वह अपने हाथों से कोई काम न करती। गोबर रग्घू निकालता, बैलों को सानी रग्घू देता। रग्घू ही जूठे बरतन माँजता। भोला की आँखें कुछ ऐसी फिरीं कि उसे अब रग्घू में सब बुराइयाँ-ही- बुराइयाँ नजर आतीं। पन्ना की बातों को वह प्राचीन मर्यादानुसार आँखें बंद करके मान लेता था। रग्घू की शिकायतों की जरा परवाह न करता। नतीजा यह हुआ कि रग्घू ने शिकायत करना ही छोड़ दिया। किसके सामने रोये? बाप ही नहीं, सारा गाँव उसका दुश्मन था।
मानसरोवर - भाग 1अलग्योझा ईदगाह माँ बेटोंवाली विधवा बड़े भाई साहब शांति नशा स्वामिनी ठाकुर का कुआँ घर जमाई पूस की रात झाँकी गुल्ली-डंडा ज्योति दिल की रानी धिक्कार कायर शिकार सुभागी अनुभव लांछन आखिरी हीला तावान घासवाली गिला रसिक संपादक मनोवृत्तिमानसरोवर - भाग 2कुसुम दाई फौजदार वेश्या चमत्कार मोटर के छींटे कैदी मिस पद्मा विद्रोही कुत्सा दो बैलों की कथा रियासत का दीवान मुफ्त का यश बासी भात में खुदा का साझा दूध का दाम बालक जीवन का शाप डामुल का कैदी नेउर गृह-नीति कानूनी कुमार लॉटरी जादू नया विवाह शूद्रमानसरोवर - भाग 3विश्वास नरक का मार्ग स्त्री और पुरुष उध्दार निर्वासन नैराश्य लीला कौशल स्वर्ग की देवी आधार एक आँच की कसर माता का हृदय परीक्षा तेंतर नैराश्य दण्ड धिक्कार लैला मुक्तिधन दीक्षा क्षमा मनुष्य का परम धर्म गुरु-मंत्र सौभाग्य के कोड़े विचित्र होली मुक्ति-मार्ग डिक्री के रुपये शतरंज के खिलाड़ी वज्रपात सत्याग्रह भाड़े का टट्टू बाबाजी का भोग विनोदमानसरोवर - भाग 4प्रेरणा सद्गति तगादा दो कब्रें ढपोरसंख डिमॉन्सट्रेशन दारोगाजी अभिलाषा खुचड़ आगा-पीछा प्रेम का उदय सती मृतक-भोज भूत सवा सेर गेहूँ सभ्यता का रहस्य समस्या दो सखियाँ स्मृति का पुजारी-----------------------भोला महतो ने पहली स्त्री के मर जाने बाद दूसरी सगाई की तो उसके लड़के रग्घू के लिये बुरे दिन आ गये। रग्घू की उम्र उस समय केवल दस वर्ष की थी। चैन से गाँव में गुल्ली-डंडा खेलता फिरता था। माँ के आते ही चक्की में जुतना पड़ा। पन्ना रुपवती स्त्री थी और रुप और गर्व में चोली-दामन का नाता है। वह अपने हाथों से कोई काम न करती। गोबर रग्घू निकालता, बैलों को सानी रग्घू देता। रग्घू ही जूठे बरतन माँजता। भोला की आँखें कुछ ऐसी फिरीं कि उसे अब रग्घू में सब बुराइयाँ-ही- बुराइयाँ नजर आतीं। पन्ना की बातों को वह प्राचीन मर्यादानुसार आँखें बंद करके मान लेता था। रग्घू की शिकायतों की जरा परवाह न करता। नतीजा यह हुआ कि रग्घू ने शिकायत करना ही छोड़ दिया। किसके सामने रोये? बाप ही नहीं, सारा गाँव उसका दुश्मन था।