रामधारी सिंह दिवाकर की इन कहानियों में गाँव का जटिल यथार्थ आद्यंत उपलब्ध है। गाँवों की सम्यक् तस्वीर का आधुनिक रूप जो विकास और पिछड़ेपन के संयुक्त द्वंद्वों से उत्पन्न होता है, वही यहाँ चित्रित हुआ है। आर्थिक आधार के मूल में रक्त-संबंधों के बीच गहरे दबावों का वैसा प्रभावपूर्ण चित्रण भी दिवाकर के समकालीन अन्य कहानीकारों में प्रायः नहीं मिलता है। कहा जा सकता है कि ये कहानियाँ उन हज़ारों-हज़ार गाँवों की पदचाप और ध्वनियों की खरी रचनाएँ हैं, जो किसी पाठ्यक्रम के चयन की प्रत्याशी नहीं, बल्कि आधुनिक ग्राम और ग्रामवासी की आत्मा का अनुपम अंकन हैं।
रामधारी सिंह दिवाकर की इन कहानियों में गाँव का जटिल यथार्थ आद्यंत उपलब्ध है। गाँवों की सम्यक् तस्वीर का आधुनिक रूप जो विकास और पिछड़ेपन के संयुक्त द्वंद्वों से उत्पन्न होता है, वही यहाँ चित्रित हुआ है। आर्थिक आधार के मूल में रक्त-संबंधों के बीच गहरे दबावों का वैसा प्रभावपूर्ण चित्रण भी दिवाकर के समकालीन अन्य कहानीकारों में प्रायः नहीं मिलता है। कहा जा सकता है कि ये कहानियाँ उन हज़ारों-हज़ार गाँवों की पदचाप और ध्वनियों की खरी रचनाएँ हैं, जो किसी पाठ्यक्रम के चयन की प्रत्याशी नहीं, बल्कि आधुनिक ग्राम और ग्रामवासी की आत्मा का अनुपम अंकन हैं।