Prem Prasun (Hindi Stories)

प्रेम प्रसून

Nonfiction, Health & Well Being, Self Help, Self Improvement, Stress Management, Fiction & Literature
Cover of the book Prem Prasun (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द, Bhartiya Sahitya Inc.
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द ISBN: 9781613011157
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: March 6, 2013
Imprint: Language: Hindi
Author: Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
ISBN: 9781613011157
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: March 6, 2013
Imprint:
Language: Hindi
प्रेमचंद की 12 कहानियों का संमह है..... गल्प, आख्यायिका या छोटे कहानी लिखने की प्रथा प्राचीन काल से चली आती है। धर्म-ग्रंथों में जो दृष्टांत भरे पड़े हैं, वे छोटी कहानियाँ ही हैं, पर कितनी उच्चकोटि की। महाभारत, उपनिषद, बुद्ध-जातक, बाइबिल, सभी सदग्रंथों में जन-शिक्षा का यही साधन उपयुक्त समझा गया है। ज्ञान और तत्त्व की बातें इतनी सरल रीति से और क्योंकर समझाई जातीं? किंतु प्राचीन ऋषि इन दृष्टांतों द्वारा केवल आध्यात्मिक और नैतिक तत्त्वों का निरूपण करते थे। उनका अभिप्राय केवल मनोरंजन न होता था। सद्ग्रंथों के रूपकों और बाइबिल के Parables देखकर तो यही कहना पड़ता है कि अगले जो कुछ कर गए, वह हमारी शक्ति से बाहर है, कितनी विशुद्ध कल्पना, कितना मौलिक निरूपण, कितनी ओजस्विनी रचना-शैली है कि उसे देखकर वर्तमान साहित्यिक बुद्धि चकरा जाती है। आज कल आख्यायिका का अर्थ बहुत व्यापक हो गया है। उनमें प्रेम की कहानियाँ, जासूसी किस्से, भ्रमण-वृत्तांत, अद्भुत घटना, विज्ञान की बातें, यहां तक की मित्रों की गप-शप सभी शामिल कर दी जाती हैं। एक अँगरेजी समालोचक के मतानुसार तो कोई रचना, जो पंद्रह मिनट में पढ़ी जा सके, गल्प कही जा सकती है। और तो और, उसका यथार्थ उद्देश्य इतना अनिश्चित हो गया है कि उसमें किसी प्रकार का उपदेश होना दूषण समझा जाने लगा है। वह कहानी सबसे नाक़िस समझी जाती है, जिसमें उपदेश की छाया भी पड़ जाय।
View on Amazon View on AbeBooks View on Kobo View on B.Depository View on eBay View on Walmart
प्रेमचंद की 12 कहानियों का संमह है..... गल्प, आख्यायिका या छोटे कहानी लिखने की प्रथा प्राचीन काल से चली आती है। धर्म-ग्रंथों में जो दृष्टांत भरे पड़े हैं, वे छोटी कहानियाँ ही हैं, पर कितनी उच्चकोटि की। महाभारत, उपनिषद, बुद्ध-जातक, बाइबिल, सभी सदग्रंथों में जन-शिक्षा का यही साधन उपयुक्त समझा गया है। ज्ञान और तत्त्व की बातें इतनी सरल रीति से और क्योंकर समझाई जातीं? किंतु प्राचीन ऋषि इन दृष्टांतों द्वारा केवल आध्यात्मिक और नैतिक तत्त्वों का निरूपण करते थे। उनका अभिप्राय केवल मनोरंजन न होता था। सद्ग्रंथों के रूपकों और बाइबिल के Parables देखकर तो यही कहना पड़ता है कि अगले जो कुछ कर गए, वह हमारी शक्ति से बाहर है, कितनी विशुद्ध कल्पना, कितना मौलिक निरूपण, कितनी ओजस्विनी रचना-शैली है कि उसे देखकर वर्तमान साहित्यिक बुद्धि चकरा जाती है। आज कल आख्यायिका का अर्थ बहुत व्यापक हो गया है। उनमें प्रेम की कहानियाँ, जासूसी किस्से, भ्रमण-वृत्तांत, अद्भुत घटना, विज्ञान की बातें, यहां तक की मित्रों की गप-शप सभी शामिल कर दी जाती हैं। एक अँगरेजी समालोचक के मतानुसार तो कोई रचना, जो पंद्रह मिनट में पढ़ी जा सके, गल्प कही जा सकती है। और तो और, उसका यथार्थ उद्देश्य इतना अनिश्चित हो गया है कि उसमें किसी प्रकार का उपदेश होना दूषण समझा जाने लगा है। वह कहानी सबसे नाक़िस समझी जाती है, जिसमें उपदेश की छाया भी पड़ जाय।

More books from Bhartiya Sahitya Inc.

Cover of the book Raakh Aur Angaare (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Meri Kahaniyan-Ravindra Kaliya (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Veer Balikayen (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Meri Kahania-Jaishankar Prasad-2(Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Premchand Ki Kahaniyan-37 by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Salakhon Main Khwab (Hindi Gazal) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Kabirdas Ki Sakhiyan by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Sangram (Hindi Drama) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Bhaj Govindam (Hindi Prayer) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Haathi Ke Daant (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Sapt Saroj (Hindi Stories) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Rashmirathi (Hindi Epic) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Kamana Aur Vasna Ki Maryada (Hindi Self-help) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Vardaan (Hindi Novel) by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
Cover of the book Devdas by Munshi Premchand, मुंशी प्रेमचन्द
We use our own "cookies" and third party cookies to improve services and to see statistical information. By using this website, you agree to our Privacy Policy