Meri Kahaniyan-Vidyasagar Nautiyal (Hindi Stories)

मेरी कहानियाँ-विद्यासागर नौटियाल

Nonfiction, Reference & Language, Foreign Languages, Indic & South Asian Languages, Fiction & Literature, Short Stories, Historical
Cover of the book Meri Kahaniyan-Vidyasagar Nautiyal (Hindi Stories) by Vidyasagar Nautiyal, विद्यासागर नौटियाल, Bhartiya Sahitya Inc.
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Author: Vidyasagar Nautiyal, विद्यासागर नौटियाल ISBN: 9781613012123
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc. Publication: February 10, 2013
Imprint: Language: Hindi
Author: Vidyasagar Nautiyal, विद्यासागर नौटियाल
ISBN: 9781613012123
Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.
Publication: February 10, 2013
Imprint:
Language: Hindi
ज़िंदगी की कहानी से बड़ी कोई कहानी नहीं हो सकती। कहानी लिखना कोई बहुत आसान काम नहीं होता। लेकिन अपनी कहानियों के बारे में कुछ लिखना बेहद कठिन लगता है (मुझे)। एक दुष्कर कर्म। कहानी लिखना और कहानी के बारे में लिखनादोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है। अपनी रचनाओं की भूमिका लिखने के मामले में मैं जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का अनुकरण करना अपने वश की बात नहीं समझता। मेरा मानना है कि लेखक को अपनी पूरी बात अपनी रचना में दे देने की कोशिश करनी चाहिए। उसके नुक्स निकालने, भाष्य करने का भार (या कहीं ज़िक्र तक न करने का सुख, मजे लूटने की स्वतंत्रता!) विद्वान् समीक्षकों-आलोचकों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। पाठकों के सामने सही बातों का खुलासा कर देने में मुझे कोई हर्ज नहीं मालूम होता।
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ज़िंदगी की कहानी से बड़ी कोई कहानी नहीं हो सकती। कहानी लिखना कोई बहुत आसान काम नहीं होता। लेकिन अपनी कहानियों के बारे में कुछ लिखना बेहद कठिन लगता है (मुझे)। एक दुष्कर कर्म। कहानी लिखना और कहानी के बारे में लिखनादोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है। अपनी रचनाओं की भूमिका लिखने के मामले में मैं जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का अनुकरण करना अपने वश की बात नहीं समझता। मेरा मानना है कि लेखक को अपनी पूरी बात अपनी रचना में दे देने की कोशिश करनी चाहिए। उसके नुक्स निकालने, भाष्य करने का भार (या कहीं ज़िक्र तक न करने का सुख, मजे लूटने की स्वतंत्रता!) विद्वान् समीक्षकों-आलोचकों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। पाठकों के सामने सही बातों का खुलासा कर देने में मुझे कोई हर्ज नहीं मालूम होता।

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